Shaikh Chilli Stories in Hindi : शेख चिल्ली की कहानियां 

Shaikh Chilli Stories in Hindi शेख चिल्ली की कहानियाँ काफी पुराने समय से पारंपरिक तौर से बड़े बुजुर्गों द्वारा बच्चों को सुनाई जाने वाली कहनियों की एक अपार श्रंखला है। जो आज भी काफी लोकप्रिय है।

शेख चिल्ली और परियों की सभा

पुराने समय की बात है, शेख चिल्ली जंगल में जा रहे थे। रास्ते में उन्हें एक कुआं  मिला। शेख चिल्ली ने कुआं में झाँककर देखा कि उसमें सात परियाँ नहा रही हैं।

शेख चिल्ली परियों को देखकर बहुत खुश हुए । और उसके मन मे लालच आ गया। उसने सोचा कि वह परियों को पकड़कर बेच देगा और बहुत सारे पैसे कमाएगा।

शेख चिल्ली ने एक बड़ा सा जाल लिया और कुवे के पास खड़ा हो गया। जब परियाँ नहाकर बाहर आईं, तो शेख चिल्ली ने उन पर जाल डाल दिया।

परियाँ जाल में फँस गईं। वे बहुत डर गईं। उन्होंने शेख चिल्ली से विनती की, “शेख चिल्ली, हमें मत खाओ। हम तुम्हें एक जादुई घड़ा देंगे। उस घड़े से तुम जो भी मुराद मांगोगे वह पूरी हो जाएगी।”

शेख चिल्ली बहुत लालची था। उसने परियों की विनती नहीं सुनी। वह परियों को बेचने के लिए बाजार की ओर चल पड़ा।

रास्ते में शेख चिल्ली को एक गरीब बूढ़ा मिला। बूढ़े ने शेख चिल्ली से कहा, “बेटा, मुझे भूख लगी है। मुझे कुछ खाने को दे दो।”

शेख चिल्ली को बूढ़े पर दया आ गई। उसने बूढ़े को एक रोटी दी। बूढ़े ने रोटी ली और खाने लगा।

बूढ़े ने शेख चिल्ली से पूछा, “बेटा, तुम यह जाल कहाँ ले जा रहे हो?”

शेख चिल्ली ने कहा, “इस जाल में सात परियाँ है परियों को लेजाकर बाजार में बेचूँगा।”

बूढ़े ने कहा, “बेटा, परियों को बेचकर तुम्हें कोई फायदा नहीं होगा। परियों के पास जादुई शक्तियाँ होती हैं। वे तुम्हें बड़ी आसानी से मूर्ख बना सकती हैं।”

शेख चिल्ली को बूढ़े की बातों पर भरोसा नहीं हुआ। वह बाजार की ओर चल पड़ा।

बाजार में शेख चिल्ली ने परियों को बेचना शुरू किया। बहुत से लोग परियों को खरीदना चाहते थे। लेकिन शेख चिल्ली उनकी बहुत अधिक कीमत माँग रहा था। इसलिए कोई भी परियों को नहीं खरीद पाया।

शेख चिल्ली बहुत निराश हो गया । वह बाजार से निकलकर जंगल की ओर चला गया।

रास्ते में शेख चिल्ली को फिर से वही बूढ़ा मिला। बूढ़े ने शेख चिल्ली से पूछा, “बेटा, तुम परियों को बेच पाए?”

शेख चिल्ली ने कहा, “नहीं, मैं परियों को नहीं बेच पाया।”

बूढ़े ने कहा, “बेटा, मैंने तुम्हें कहा था कि परियों को बेचकर कोई फायदा नहीं होगा। अब तुम मेरी बात मान लो और परियों को वापस छोड़ दो।”

शेख चिल्ली को बूढ़े की बातों का एहसास हुआ। वह जंगल में गया और परियों को वापस छोड़ दिया।

परियों ने शेख चिल्ली को धन्यवाद दिया और उसे जादुई घड़ा दे दिया। शेख चिल्ली बहुत खुश हुआ। उसने जादुई घड़े से बहुत सारी मुरादें माँगीं और वह बहुत अमीर और खुशहाल हो गया ।

नैतिक शिक्षा: लालच बुरी बला है। हमें लालच नहीं करना चाहिए। हमें हमेशा दूसरों की बातों को सुनना चाहिए और उनके अनुभव से सीखना चाहिए।

शेख चिल्ली और जादूई छड़ी/Shaikh Chilli Stories in Hindi

एक बार की बात है, शेख चिल्ली एक जंगल में घूम रहा था। उसे एक सूखा कुआं मिला। शेख चिल्ली कुएं में झांकने लगा। अचानक, उसने कुएं में एक लड़की को देखा।

लड़की ने शेख चिल्ली से कहा, “हे शेख चिल्ली, मुझे इस कुएं से बाहर निकालो।”

शेख चिल्ली ने कहा, “मैं तुम्हें कैसे निकालूँ? मेरे पास तो रस्सी भी नहीं है।”

लड़की ने कहा, “तुम कुएं मे उतरकर मुझे अपनी पीठ पर चढ़ाकर निकाल सकते हो।”

शेख चिल्ली कुएं मे उतरा और लड़की को अपनी पीठ पर चढ़ाया और उसे कुएं से बाहर निकाला। 

लड़की ने शेख चिल्ली का धन्यवाद किया और कहा, “मैं तुम्हें एक जादूई छड़ी  दूंगी। इस छड़ी से तुम जो चाहो मांग सकते हो और वह तुम्हें मिल जाएगा।”

लड़की ने शेख चिल्ली को एक जादूई छड़ी दिया और गायब हो गई। शेख चिल्ली बहुत खुश हुआ। वह जादूई छड़ी को अपने घर ले गया।

शेख चिल्ली ने जादूई छड़ी से एक बड़ा महल मांगा। छड़ी से एक बड़ा महल निकला। शेख चिल्ली ने जादूई छड़ी से खूब सारा सोना और चांदी मांगा। 

छड़ी से खूब सारा सोना और चांदी निकला। शेख चिल्ली बहुत अमीर बन गया। शेख चिल्ली अपने नए महल में बहुत खुश रहने लगा। 

वह हर दिन खूब खाता-पीता और मौज-मस्ती करता। लेकिन एक दिन, शेख चिल्ली को अपनी मां की याद आने लगी। उसने जादूई छड़ी से अपनी मां को मांगा।

छड़ी से शेख चिल्ली की मां निकली। शेख चिल्ली बहुत खुश हुआ। उसने अपनी मां को गले लगाया। शेख चिल्ली की मां ने उसे कहा, “बेटा, तुम बहुत अमीर बन गए हो। 

लेकिन तुमने अपने पिता के बारे में नहीं सोचा। तुम्हारे पिता बहुत गरीब हैं। उन्हें तुम्हारी मदद की जरूरत है।”

शेख चिल्ली को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने जादूई छड़ी से अपने पिता को मांगा। छड़ी से शेख चिल्ली के पिता निकले। शेख चिल्ली के पिता बहुत गरीब थे। 

शेख चिल्ली अपने माँ और पिता को ले कर अपने महल में रहने लगा। उसने अपने पिता को खूब सारे कपड़े और सोना-चांदी दिया। शेख चिल्ली के पिता बहुत खुश हुए।

शेख चिल्ली ने अपनी मां और पिता की बहुत सेवा की। वह हर दिन उनका ध्यान रखता था। शेख चिल्ली अपने परिवार के साथ बहुत खुश रहने लगा।

नैतिक शिक्षा: हमें अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिए और उनकी सेवा करनी चाहिए। हमें अपने पैसे का सही इस्तेमाल करना चाहिए और गरीबों की मदद करनी चाहिए।

शेख चिल्ली और जादू की चप्पलें :Shaikh Chilli Stories in Hindi

पुराने समय की बात है, शेख चिल्ली एक जंगल में घूम रहा था। उसे एक कुआं दिखाई दिया। वह कुएं के पास गया और कुएं में झांककर देखने लगा।

अचानक, शेख चिल्ली को कुएं में एक जोड़ी चप्पलें दिखाई दीं। चप्पलें बहुत ही चमकदार थीं। शेख चिल्ली ने सोचा कि ये चप्पलें जादू की ही होंगी।

शेख चिल्ली ने एक रस्सी ली और उसे कुएं में डाला। फिर, वह रस्सी के सहारे कुएं में नीचे उतरा। उसने कुएं से जादू की चप्पलें उठाईं और वापस ऊपर आ गया।

शेख चिल्ली ने जादू की चप्पलें पहनीं और अपने दोस्तों के पास गया। उसने अपने दोस्तों को बताया कि उसके पास जादू की चप्पलें हैं।

शेख चिल्ली के दोस्तों को विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने शेख चिल्ली से कहा, “सबूत दिखाओ।”

शेख चिल्ली ने कहा, “ठीक है।” उसने अपने दोस्तों से कहा, “तुम कोई भी जगह बताओ। मैं वहां कुछ ही देर में पहुंच जाऊंगा।”

शेख चिल्ली के दोस्तों ने एक बहुत दूर की जगह बताई। शेख चिल्ली ने अपनी जादू की चप्पलें पहनीं और उस जगह की तरफ उड़ने लगा।

कुछ ही देर में, शेख चिल्ली उस जगह पर पहुंच गया। उसके दोस्त बहुत ही आश्चर्यचकित हुए। उन्होंने कहा, “तुम कैसे इतनी जल्दी यहां पहुंच गए?”

शेख चिल्ली ने कहा, “मैंने जादू की चप्पलें पहनी हैं। इसलिए मैं इतनी जल्दी यहां पहुंच गया।”

शेख चिल्ली के दोस्तों ने शेख चिल्ली से जादू की चप्पलें मांगीं। लेकिन शेख चिल्ली ने उन्हें देने से मना कर दिया। उसने कहा, “ये चप्पलें मेरी हैं। मैं किसी को नहीं दूंगा।”

शेख चिल्ली के दोस्तों को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने शेख चिल्ली से कहा, “अगर तुम हमें चप्पलें नहीं दोगे, तो हम तुम्हें मार देंगे।”

शेख चिल्ली बहुत डर गया। उसने अपनी जादू की चप्पलें उतार कर अपने दोस्तों को दे दीं। शेख चिल्ली के दोस्तों ने जादू की चप्पलें पहनीं और उड़ते हुए चले गए।

शेख चिल्ली बहुत उदास हो गया। उसने सोचा कि उसने अपनी जादू की चप्पलें खो दी हैं। लेकिन अचानक, शेख चिल्ली को याद आया कि उसने जादू की चप्पलों के साथ एक जादू का डिब्बा भी पाया था।

शेख चिल्ली ने जादू का डिब्बा खोला। डिब्बे में एक कागज था। कागज पर लिखा था, “अगर तुम कभी भी मुसीबत में पड़ो, तो इस जादू के डिब्बे को खोलो और अपनी मनोकामना कहो। तुम्हारी मनोकामना पूरी हो जाएगी।”

शेख चिल्ली बहुत खुश हुआ। उसने जादू के डिब्बे को खोला और अपनी मनोकामना कही। शेख चिल्ली की मनोकामना थी कि उसकी जादू की चप्पलें वापस आ जाएं।

कुछ ही देर में, शेख चिल्ली की जादू की चप्पलें वापस आ गईं। शेख चिल्ली बहुत खुश हुआ। उसने अपनी जादू की चप्पलें पहनीं और उड़ते हुए घर चला गया।

नैतिक शिक्षा: हमें कभी भी किसी को अपनी चीजें नहीं देनी चाहिए। हमें अपने दोस्तों को हमेशा सावधानी से चुनना चाहिए।

शेख चिल्ली और सोने का खजाना /Shaikh Chilli Stories in Hindi

एक समय की बात है, एक दिन शेख चिल्ली को पता चला कि जंगल में सोने का खजाना छुपा है। शेख चिल्ली को सोने का खजाना का सुनकर मन मे लालच आ  गया । उसने सोच लिया कि वह खजाना ढूंढेगा और बहुत अमीर बन जाएगा।

शेख चिल्ली जंगल में गया और सोने के खजाने को ढूंढने लगा। वह बहुत दिन तक जंगल में घूमता रहा, लेकिन उसे खजाना नहीं मिला। 

Shaikh Chilli Stories
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फिर एक दिन उसे एक गुफा दिखाई दी, वह उस गुफा में पहुंचा। उसने सोचा कि शायद खजाना इस गुफा में छुपा हो।

शेख चिल्ली गुफा में घुस गया। गुफा बहुत ही गहरी थी। गुफा के अंदर बहुत अंधेरा था । शेख चिल्ली बहुत डर गया, फिर भी वह आगे बढ़ता चला गया। थोड़ी देर बाद, वह एक बड़ी सी जगह पर  पहुंचा। 

उस जगह में एक बड़ा सा बक्सा रखा था। शेख चिल्ली को समझ मे आ गया कि यह खजाने का बक्सा है।

शेख चिल्ली बक्से के पास गया और उसे खोलने की कोशिश करने लगा । लेकिन बक्सा अंदर से बंद था। बक्सा ना खुलने की वजह से शेख चिल्ली को गुस्सा आने लगा । 

गुस्से मे उसने बक्से पर लात मारी। बक्सा खुल गया और उसमें से सोने के सिक्के गिरने लगे।

शेख चिल्ली बहुत खुश हो गया । उसने सोने के सिक्के इकट्ठा करना शुरू कर दिया। लेकिन वह इतना लालची था कि उसने सारे सिक्के अपने साथ ले जाने की कोशिश की। बक्सा बहुत भारी था। शेख चिल्ली उसे उठा नहीं पा रहा था ।

शेख चिल्ली ने सोचा कि वह अभी थोड़े से सिक्के लेकर बाहर जाएगा और फिर वापस आकर बाकी सिक्के ले जाएगा। लेकिन जब वह बाहर आया, तो उसने देखा कि गुफा का दरवाजा बंद हो गया है।

शेख चिल्ली गुफा में फंस गया। वह परेशान होने लगा । उसने सोचा कि अब वह कभी भी बाहर नहीं जा पाएगा।

लेकिन शेख चिल्ली बहुत चालाक था। उसने एक प्लान बनाया। उसने गुफा में पड़े हुए पत्थरों को इकट्ठा किया और उनसे एक सीढ़ी बनाई। फिर, वह सीढ़ी पर चढ़कर गुफा से बाहर निकल आया।

गुफा से बाहर निकलकर शेख चिल्ली बहुत खुश हुआ। और वह सोने के सिक्कों को अपने घर ले गया । और बहुत अमीर बन गया। लेकिन अभी भी उसके मन मे लालच था। वह चाहता था कि उसके पास और भी ज्यादा सोना होना चाहिए ।

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एक दिन, शेख चिल्ली को मालूम हुआ कि, सम्राट के पास एक बहुत बड़ा हीरा है। शेख चिल्ली ने सोचा कि वह सम्राट का हीरा चुरा लेगा और और भी ज्यादा अमीर बन जाएगा।

शेख चिल्ली सम्राट के महल में गया और हीरा चुराने की कोशिश करने लगा। लेकिन वह पकड़ा गया। सम्राट शेख चिल्ली को देखकर बहुत गुस्सा हुआ। उसने शेख चिल्ली को मृत्युदंड की सजा दी।

शेख चिल्ली मौत के डर से कांपने लगा। उसने सम्राट से माफी मांगी और कहा कि वह अब कभी भी गलती नहीं करेगा। सम्राट को शेख चिल्ली की बातों पर दया आ गई। और उसने उसे माफ कर दिया।

शेख चिल्ली को अपनी गलती का एहसास हुआ । और उसने तय किया कि वह अब कभी भी लालच नहीं करेगा। वह अपने जीवन में खुश रहना चाहता था।

नैतिक शिक्षा: हमें लालच नहीं करना चाहिए। हमें अपने जीवन में खुश रहने के लिए जितना है, उतने में संतुष्ट रहना चाहिए।

शेख चिल्ली और जादूगर

बरसों पुरानी बात है, शेख चिल्ली एक जंगल से घूम रहे थे। उन्हें प्यास लगी । और पानी की तलाश मे इधर उधर देख रहे थे तभी उन्हे एक कुआं दिखाई पड़ा वह कुएं के पास पानी पीने के लिए पहुंचे ।

शेख चिल्ली ने कुएं में झांका। उन्होंने देखा कि कुएं में पानी नहीं था। इसके बजाय, कुएं में एक आदमी बैठा था।

आदमी ने शेख चिल्ली को देखा और कहा, “अरे, तुम कौन हो? तुम मेरे कुएं में क्या कर रहे हो?”

शेख चिल्ली ने कहा, “मैं शेख चिल्ली हूँ। मैं प्यासा हूँ और पानी पीना चाहता हूँ।”

आदमी ने कहा, “मेरे कुएं में पानी नहीं है। लेकिन मैं तुम्हें एक जादू की घड़ी दूंगा। यह घड़ी तुम्हारी हर मनोकामना पूरी करेगी।”

वह आदमी एक जादूगर था । शेख चिल्ली बहुत खुश हुआ । उसने जादूगर से घड़ी ली और उसे पहन लिया।

शेख चिल्ली ने घड़ी से कहा, “मैं चाहता हूँ कि मेरे पास एक बड़ा महल हो।”

क्षण भर में, शेख चिल्ली के पास एक बड़ा सा महल आ गया। महल में हर तरह की सुख-सुविधाएं थीं।

शेख चिल्ली ने घड़ी से कहा, “मैं चाहता हूँ कि मेरे पास सोने-चांदी का खजाना हो।”

क्षण भर में, शेख चिल्ली के पास सोने-चांदी का खजाना आ गया। खजाना इतना बड़ा था कि शेख चिल्ली उसे गिन भी नहीं पा रहा था ।

शेख चिल्ली ने घड़ी से कहा, “मैं चाहता हूँ कि मेरे पास एक सुंदर सी राजकुमारी हो।”

क्षण भर में, शेख चिल्ली के पास एक सुंदर सी राजकुमारी आ गई। राजकुमारी इतनी सुंदर थी कि शेख चिल्ली उसके प्यार में पागल हो गया ।

शेख चिल्ली बहुत खुश था । उसने जादूगर को बहुत धन्यवाद दिया। फिर, वह महल में चला गया । और राजकुमारी के साथ शादी कर ली।

शेख चिल्ली और राजकुमारी बहुत ही खुशी से रहने लगे। शेख चिल्ली घड़ी का इस्तेमाल करके हर दिन अपनी कोई न कोई मनोकामना पूरी करता था ।

कुछ दिन बाद, शेख चिल्ली को घमंड हो गया। उसने सोचा कि वह दुनिया का  सबसे शक्तिशाली व्यक्ति है। उसने घड़ी से कहा, “मैं चाहता हूँ कि मैं भगवान बन जाऊँ।”

जादूगर ने शेख चिल्ली की बात सुन ली। वह बहुत गुस्सा हुआ। उसने शेख चिल्ली से कहा, “तुम्हें बहुत घमंड हो गया है। मैं तुम्हें अभी सबक सिखाता हूँ।”

जादूगर ने शेख चिल्ली के ऊपर जादू किया। शेख चिल्ली तुरंत एक गधे में बदल गया ।

गधा बनने के बाद, शेख चिल्ली बहुत पछताया । उसे अपने घमंड पर बहुत पछतावा हुआ । कि उसने गलती की है। उसने जादूगर से माफी मांगी।

जादूगर को शेख चिल्ली पर दया आ गई। उसने शेख चिल्ली को वापस इंसान बना दिया।

शेख चिल्ली ने जादूगर का बहुत आभार व्यक्त किया। उसने जादूगर से वादा किया कि वह अब कभी भी घमंड नहीं करेगा।

शेख चिल्ली अपने महल में वापस चला गया । और वह राजकुमारी के साथ खुशी-खुशी रहने लगा । उसने फिर कभी भी घमंड नहीं किया और हमेशा दूसरों की मदद की।

नैतिक शिक्षा: हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए।

शेख चिल्ली और चालीस चोर । Shaikh Chilli Stories in Hindi

एक बार की बात है, शेख चिल्ली एक जंगल से गुजर रहे थे। वहाँ उन्हें एक गुफा दिखाई दी। शेख चिल्ली को लगा कि गुफा में कुछ खजाना छिपा होगा। इसलिए, वह गुफा में घुस गए।

गुफा के अंदर, शेख चिल्ली को चालीस चोरों का एक समूह दिखाई दिया। चोर बहुत डरावने लग रहे थे। उनके हाथों में तलवारें थीं और उनके चेहरों पर डरावनी मुस्कान थी।

चोरों ने शेख चिल्ली को देखकर पूछा, “तुम कौन हो? और तुम हमारी गुफा में क्यों आए हो?”

शेख चिल्ली ने कहा, “मैं शेख चिल्ली हूँ। और मैं तुम्हारा खजाना ले जाने के लिये आया हूँ।”

सारे चोर हँसने लगे। उन्होंने कहा, “तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है? तुम अकेले हो और हम चालीस हैं। तुम हमसे कैसे जीत सकते हो?”

शेख चिल्ली ने कहा, “मैं तुम्हें हरा दूँगा। लेकिन पहले तुम लोग मुझे तुम्हारा खजाना दिखाओ।”

चोर शेख चिल्ली को गुफा के अंदर ले गए और उसे अपना खजाना दिखाया। खजाना बहुत बड़ा था। उसमें सोने के सिक्के, चांदी के बर्तन और हीरे-मोती थे।

शेख चिल्ली को खजाना देखकर बहुत खुशी हुई। उसने चोरों से कहा, “अब मुझे तुम सबको हराना है ।”

सारे चोर हँसने लगे। उन्होंने कहा, “तुम अकेले हो और हम चालीस हैं। तुम हमसे कैसे जीत सकते हो?”

शेख चिल्ली ने कहा, “मैं अभी तुम्हें जीतकर दिखाता हूँ।”

शेख चिल्ली ने एक बड़ा पत्थर उठाया और चोरों पर फेंक दिया। पत्थर एक चोर को लगा और वह मर गया।

सारे चोर बहुत गुस्सा हुए। उन्होंने शेख चिल्ली पर एक साथ हमला कर दिया। लेकिन शेख चिल्ली बहुत चालाक थे। वह चोरों के हमलों को चकमा दे कर  उन्हें पत्थर मार रहे थे।

और थोड़ी देर बाद, बहुत से चोर मारे गए । शेख चिल्ली ने चालीस में से तीस चोरों को मार दिया था ।

बचे हुए दस चोर बहुत डर गए। उन्होंने शेख चिल्ली से माफी मांगी और कहा कि वे उसे खजाना दे देंगे।

शेख चिल्ली ने चोरों को माफ कर दिया। उन्होंने खजाना ले लिया और गुफा से बाहर निकल गए।

शेख चिल्ली खजाना अपने गांव ले गए और सभी गरीब लोगों को बाँट दिया। सभी लोग शेख चिल्ली की बहादुरी और दयालुता की तारीफ करने लगे।

नैतिक शिक्षा: हमें हमेशा बहादुर और दयालु होना चाहिए। हमें दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

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शेख चिल्ली और जादू की टोपी : Shaikh Chilli Stories in Hindi

सदिओं पुरानी बात है, शेख चिल्ली जंगल में घूम रहा था। उसे एक सुनहरी टोपी मिली। शेख चिल्ली ने टोपी को अपने सिर पर पहन लिया।

अचानक, शेख चिल्ली के सामने एक परी प्रकट हुई। परी ने कहा, “शेख चिल्ली, यह एक जादू की टोपी है। इस टोपी को पहनकर तुम जो भी मुराद मांगोगे, वह पूरी हो जाएगी। लेकिन ध्यान रखना, तुम एक बार में सिर्फ एक ही मुराद मांग सकते हो।”

शेख चिल्ली बहुत खुश हुआ। उसने सोचा कि वह अब क्या मुराद मांगे। वह बहुत भूखा था, इसलिए उसने परी से कहा, “परी जी, मैं बड़ा भूखा हूँ। मुझे बहुत सारे स्वादिष्ट पकवान खाने हैं।”

परी ने जादू किया और शेख चिल्ली के सामने एक बड़ी सी थाली लग गई। शेख चिल्ली ने बहुत सारे स्वादिष्ट पकवान खाए। उसका पेट भर गया और वह बहुत खुश हुआ।

कुछ देर बाद, शेख चिल्ली को एक और मुराद याद आई। उसने परी से कहा, “परी जी, मैं बहुत अमीर बनना चाहता हूँ।”

परी ने फिर से जादू किया और शेख चिल्ली के पास सोने-चांदी के ढेर लग गए। शेख चिल्ली बहुत खुश हुआ। वह अब बहुत अमीर था।

शेख चिल्ली बहुत दिनों तक जादू की टोपी का इस्तेमाल करता रहा। उसने बहुत सारी मुरादें मांगीं और वे सभी पूरी होती गईं।

एक दिन, शेख चिल्ली एक ऊँचे पहाड़ पर चढ़ गया। उसने सोचा कि वह अब तक की सबसे बड़ी मुराद मांगेगा। उसने परी से कहा, “परी जी, मैं अमर होना चाहता हूँ। मैं हमेशा के लिए जिंदा रहना चाहता हूँ।”

परी ने शेख चिल्ली से कहा, “शेख चिल्ली, यह तुम्हारी आखिरी मुराद है। सोच-समझकर माँगो।”

शेख चिल्ली ने बहुत सोचा। लेकिन वह अमर होना चाहता था। इसलिए, उसने परी से फिर से कहा, “परी जी, मैं अमर होना चाहता हूँ।”

परी ने जादू किया और शेख चिल्ली अमर हो गया। अब वह कभी नहीं मरेगा।

शेख चिल्ली बहुत खुश था। वह अब अमर था और उसके पास सब कुछ था। लेकिन कुछ दिनों बाद, शेख चिल्ली को एहसास हुआ कि अमर होना भी कोई अच्छी बात नहीं है। 

वह बूढ़ा हो रहा था और उसे कोई बीमारी भी नहीं होती थीं। वह अकेला था और उसका कोई दोस्त नहीं था।

शेख चिल्ली ने परी को बुलाया और उससे कहा, “परी जी, मैंने गलती की है। मैं अमर होना नहीं चाहता था। मैं फिर से एक आम इंसान बनना चाहता हूँ।”

परी ने कहा, “शेख चिल्ली, तुमने जो मुराद मांगी थी, वह पूरी हो चुकी है। अब मैं उसे वापस नहीं ले सकती।”

शेख चिल्ली बहुत दुखी हुआ। वह अब अमर था और उसे कोई भी बात खुश नहीं कर सकती थी।

नैतिक शिक्षा: हमें हमेशा सोच-समझकर मुरादें मांगनी चाहिए। हमें कभी भी ऐसी मुराद नहीं मांगनी चाहिए, जो हमारे लिए नुकसानदेह हो।

शेख चिल्ली, बकरी और शेर :Shaikh Chilli Stories in Hindi

एक बार की बात है, शेख चिल्ली जंगल में जा रहे थे। रास्ते में उन्हें एक बकरी मिली। शेख चिल्ली ने बकरी को देखा और सोचा कि आज का खाना तो मिल गया।

शेख चिल्ली ने बकरी को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन बकरी बहुत तेज थी। वह शेख चिल्ली से दूर भागने लगी। शेख चिल्ली बकरी का पीछा करने लगे।

बकरी भागते-भागते एक शेर की गुफा में जा घुसी। शेख चिल्ली ने बकरी को शेर की गुफा में जाते हुए देखा। वह बहुत डर गए। लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि अगर शेर ने बकरी को खा लिया तो वह क्या खाएंगे।

शेख चिल्ली ने अपनी सूझबूझ का इस्तेमाल किया। उन्होंने अपनी आवाज में बदलाव किया और बहुत ही बहादुरी से शेर को ललकारा।

शेर गुफा से बाहर आया और शेख चिल्ली को देखकर बहुत हैरान हुआ। शेर ने शेख चिल्ली से कहा, “तुम कौन हो और तुमने मेरी गुफा में घुसने की हिम्मत कैसे की?”

शेख चिल्ली ने कहा, “मैं शेख चिल्ली हूँ और मैं तुमसे अपनी बकरी वापस लेने आया हूँ।”

शेर ने शेख चिल्ली की बात सुनकर हँसना शुरू कर दिया। उसने कहा, “तुम तो बहुत छोटे हो। तुम मुझसे मेरी बकरी वापस कैसे ले जाओगे?”

शेख चिल्ली ने कहा, “मेरे पास जादू की शक्तियाँ हैं। मैं तुम्हें हरा सकता हूँ।”

शेर ने शेख चिल्ली की बात नहीं मानी। उसने शेख चिल्ली पर हमला किया। लेकिन शेख चिल्ली बहुत चतुर थे। उन्होंने शेर को चकमा दिया और उसकी बकरी को छीन लिया।

शेर शेख चिल्ली की चतुराई देखकर बहुत हैरान हुआ। उसने शेख चिल्ली को जाने दिया। शेख चिल्ली अपनी बकरी को लेकर जंगल से बाहर निकल आए।

शेख चिल्ली की कहानी सुनकर सभी लोग बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने शेख चिल्ली की चतुराई की तारीफ की।

नैतिक शिक्षा: हमें हमेशा चतुर और सूझबूझ से काम लेना चाहिए। हमें किसी से भी नहीं डरना चाहिए।

शेख चिल्ली और नाई की दुकान

सदिओं पुरानी बात है, शेख चिल्ली एक नाई की दुकान में गए। वह अपने बाल कटवाना चाहते थे।

नाई ने शेख चिल्ली से पूछा, “आपको किस तरह का हेयरकट चाहिए?”

शेख चिल्ली ने कहा, “मुझे ऐसा हेयरकट चाहिए जो मुझे बहुत ही सुंदर और आकर्षक बना दे।”

नाई ने कहा, “ठीक है, मैं आपको सबसे अच्छा हेयरकट दूंगा।”

नाई ने शेख चिल्ली के बाल काटना शुरू किया। उसने शेख चिल्ली के बालों को बहुत ही खूबसूरती से काटा।

जब नाई ने शेख चिल्ली के बाल काटना समाप्त किया, तो शेख चिल्ली बहुत खुश हुए। उन्होंने नाई को बहुत सारा धन्यवाद दिया और दुकान से बाहर निकल गए।

शेख चिल्ली सड़क पर चलते हुए बहुत ही गर्व महसूस कर रहे थे। उन्हें लग रहा था कि वह दुनिया के सबसे सुंदर और आकर्षक व्यक्ति हैं।

थोड़ी देर बाद, शेख चिल्ली को एक तालाब दिखाई दिया। वह तालाब में अपने चेहरे को देखना चाहते थे।

शेख चिल्ली तालाब के पास गए और तालाब में अपने चेहरे को देखा।

शेख चिल्ली बहुत हैरान हुए। उन्होंने देखा कि उनके बालों में दो बड़े-बड़े सींग हो गए थे।

शेख चिल्ली बहुत घबरा गए। वह भागते हुए नाई की दुकान पर गए।

शेख चिल्ली ने नाई से कहा, “नाई भाई, मेरे बालों में सींग क्यों हो गए हैं?”

नाई ने कहा, “ये तो मैंने आपको बहुत अच्छा हेयरकट दिया था।”

शेख चिल्ली ने कहा, “लेकिन मैं तो सींग नहीं चाहता था।”

नाई ने कहा, “मैंने आपको बताया था कि मैं आपको सबसे अच्छा हेयरकट दूंगा। और मैंने ऐसा ही किया।”

शेख चिल्ली बहुत गुस्सा हुए। उन्होंने नाई से कहा, “तुम एक बहुत ही बुरे नाई हो। तुमने मुझे बहुत ही बुरा हेयरकट दिया है।”

शेख चिल्ली नाई को पैसे दिए बिना ही दुकान से बाहर निकल गए।

शेख चिल्ली बहुत ही दुखी थे। वह अपने घर गए और अपनी मां को पूरी बात बताई।

शेख चिल्ली की मां ने कहा, “बेटा, तुम्हें सींगों से डरना नहीं चाहिए। सींग तो बहुत से जानवरों के होते हैं।”

शेख चिल्ली ने कहा, “लेकिन मैं तो जानवर नहीं हूँ।”

शेख चिल्ली की मां ने कहा, “बेटा, तुम एक इंसान हो। और इंसानों के सींग नहीं होते हैं।”

शेख चिल्ली ने कहा, “लेकिन मेरे बालों में सींग हैं।”

शेख चिल्ली की मां ने कहा, “बेटा, तुम्हारे बालों में सींग नहीं हैं। ये सिर्फ तुम्हारी कल्पना है।”

शेख चिल्ली को अपनी मां की बातों पर यकीन नहीं हुआ। लेकिन उन्होंने अपनी मां की बात मान ली।

शेख चिल्ली अपने घर से बाहर निकले और सड़क पर चलने लगे।

सड़क पर चलते हुए, शेख चिल्ली ने लोगों को अपनी तरफ देखते हुए देखा। शेख चिल्ली को लगा कि लोग उनके सींगों को देख रहे हैं।

शेख चिल्ली बहुत शर्मिंदा हुए। उन्होंने अपना चेहरा छुपा लिया और भागते हुए घर गए।

शेख चिल्ली ने अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया। वह बहुत ही दुखी थे। वह नहीं जानते थे कि क्या करें।

थोड़ी देर बाद, शेख चिल्ली को एक आईडिया आया। उन्होंने अपने बालों को एक कपड़े से ढक लिया। फिर, वह अपने घर से बाहर निकले।

शेख चिल्ली ने देखा कि कोई भी उन्हें देखकर हंस नहीं रहा है। शेख चिल्ली को बहुत खुशी हुई।

शेख चिल्ली अपने कपड़े से अपने बालों को ढककर ही घूमते थे। वह नहीं चाहते थे कि कोई उनके सींगों को देख ले।

शेखचिल्ली और जादू की खिचड़ी : Shaikh Chilli Stories in Hindi

एक बार की बात है, शेखचिल्ली को बहुत भूख लगी थी। वह खाने की तलाश में घर से निकल गया। उसने बहुत सारे घरों में जाकर खाना माँगा, लेकिन किसी ने उसे खाना नहीं दिया।

शेखचिल्ली बहुत निराश हो गया। वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया और रोने लगा। अचानक, उसे एक बूढ़ी महिला दिखाई दी।

बूढ़ी महिला ने शेखचिल्ली से पूछा, “बेटा, तुम क्यों रो रहे हो?”

शेखचिल्ली ने कहा, “मुझे बहुत भूख लगी है, लेकिन किसी ने मुझे खाना नहीं दिया।”

बूढ़ी महिला ने कहा, “ठीक है, मैं तुम्हें खाना दूँगी। लेकिन तुम एक शर्त माननी होगी।”

शेखचिल्ली ने पूछा, “कौन सी शर्त?”

बूढ़ी महिला ने कहा, “तुम्हें यह खिचड़ी उसी स्थान पर खाना होगी जहाँ तुम इस समय हो ।”

शेखचिल्ली ने शर्त मान ली। बूढ़ी महिला ने उसे एक बड़े बर्तन मे खिचड़ी दिया। शेखचिल्ली बहुत खुश हुआ। उसने बूढ़ी महिला को धन्यवाद दिया और पेड़ के नीचे बैठकर खिचड़ी खाने लगा।

शेखचिल्ली ने खिचड़ी की एक चम्मच मुँह में रखा और खाने लगा। खिचड़ी बहुत ही स्वादिष्ट थी। उसने पूरी खिचड़ी खा ली।

जब शेखचिल्ली खिचड़ी खाकर खड़ा हुआ, तो उसने देखा कि वह एक बड़े से महल के बीच में खड़ा है। महल के चारों ओर एक सुंदर बगीचा था। बगीचे में फूलों की महक फैली हुई थी।

शेखचिल्ली को बहुत अचरज हुआ। वह समझ नहीं पाया कि वह कैसे महल में पहुँच गया। उसने सोचा कि यह सब बूढ़ी महिला के जादू का ही असर है।

शेखचिल्ली महल में घूमने लगा। उसने देखा कि महल बहुत ही बड़ा और खूबसूरत है। महल में हर तरह की चीजें मौजूद थीं।

शेखचिल्ली को महल में बहुत अच्छा लगा। उसने तय किया कि वह इसी महल में रहने लगेगा। वह महल में ही सोने और खाने लगा।

एक दिन, शेखचिल्ली महल के बगीचे में घूम रहा था। उसने देखा कि बगीचे में एक बड़ा सा पेड़ है। उस पेड़ पर एक सुनहरा कटोरा लटक रहा है।

शेखचिल्ली को कटोरा बहुत पसंद आया। वह पेड़ पर चढ़कर कटोरा उतारने लगा। लेकिन वह कटोरा पेड़ से नहीं उतर पा रहा था।

तभी, शेखचिल्ली को याद आया कि बूढ़ी महिला ने उसे क्या शर्त बताई थी। उसने सोचा कि उसे इसी पेड़ पर खिचड़ी खाकर अपनी भूख मिटानी होगी।

शेखचिल्ली पेड़ पर ही बैठकर खिचड़ी खाने लगा। जब उसने खिचड़ी खाकर खड़ा हुआ, तो उसने देखा कि वह फिर से उस पेड़ के नीचे खड़ा है जहाँ से उसने खिचड़ी ली थी।

शेखचिल्ली को बहुत निराशा हुई। उसने सोचा कि वह महल में नहीं रह सकेगा। लेकिन फिर उसने सोचा कि वह जादू की खिचड़ी खाकर फिर से महल में जा सकता है।

शेखचिल्ली ने तय किया कि वह हर दिन जादू की खिचड़ी खाकर महल में जाएगा। वह महल में जाकर मस्ती करेगा और फिर वापस आ जाएगा।

शेखचिल्ली ने रोज जादू की खिचड़ी खाकर महल में जाना शुरू कर दिया। वह महल में जाकर बहुत मस्ती करता था। वह महल में रहने वाले लोगों को अपनी कहानियाँ सुनाता था और उन्हें हँसाता था।

शेखचिल्ली की कहानियाँ सुनकर महल में रहने वाले लोग बहुत खुश होते थे। उन्होंने शेखचिल्ली को महल में ही रहने के लिए कह दिया।

शेखचिल्ली बहुत खुश हुआ। वह महल में ही रहने लगा। वह महल में रहकर बहुत खुश था

शेखचिल्ली और सोने की ईंट। Shaikh Chilli Stories in Hindi

एक बार की बात है, शेखचिल्ली एक कुएं के पास से जा रहा था। उसने कुएं में झांककर देखा कि अंदर सोने की एक ईंट पड़ी है। शेखचिल्ली को बहुत खुशी हुई। वह कुएं में उतरने के लिए एक रस्सी लेकर आया।

शेखचिल्ली कुएं में उतरा और सोने की ईंट को उठा लिया। लेकिन जब वह कुएं से बाहर निकलने लगा, तो रस्सी टूट गई। शेखचिल्ली कुएं में फंस गया।

कुएं में बहुत अंधेरा था। शेखचिल्ली को बहुत डर लगने लगा। वह चिल्लाने लगा, “कोई मेरी मदद करो!”

शेखचिल्ली की आवाज सुनकर कुछ लोग कुएं के पास आए। उन्होंने शेखचिल्ली को कुएं में फंसा हुआ देखकर उससे पूछा, “क्या हुआ शेखचिल्ली? तुम क्यों चिल्ला रहे हो?”

शेखचिल्ली ने कहा, “मैं कुएं में फंस गया हूँ। मेरी मदद करो।”

लोगों ने शेखचिल्ली को कुएं से बाहर निकालने के लिए एक लंबी रस्सी लाई। उन्होंने रस्सी को कुएं में डाल दिया और शेखचिल्ली को उससे पकड़ने के लिए कहा।

शेखचिल्ली ने रस्सी को पकड़ लिया और उसे अपनी कमर से बांध लिया। फिर, लोग उसे कुएं से बाहर खींचने लगे।

जब शेखचिल्ली कुएं से बाहर निकला, तो उसके हाथ में सोने की ईंट थी। उसने सोने की ईंट को दिखाकर लोगों से कहा, “देखो, मैं कुएं से सोने की ईंट लेकर आया हूँ।”

लोगों ने शेखचिल्ली की बात सुनकर कहा, “शेखचिल्ली, तुम बहुत भाग्यशाली हो।”

शेखचिल्ली बहुत खुश था। उसने सोने की ईंट को अपने घर ले जाकर उसे एक बक्से में रख दिया। वह सोने की ईंट को देखकर बहुत खुश होता था।

लेकिन एक दिन, शेखचिल्ली के घर में चोरी हो गई। चोरों ने सोने की ईंट को चुरा लिया। शेखचिल्ली को बहुत दुख हुआ। वह रोने लगा और कहने लगा, “मेरी सोने की ईंट चोरी हो गई है।”

लोगों ने शेखचिल्ली को रोते हुए देखकर उससे पूछा, “शेखचिल्ली, क्या हुआ? तुम क्यों रो रहे हो?”

शेखचिल्ली ने कहा, “मेरी सोने की ईंट चोरी हो गई है। मैं बहुत दुखी हूँ।”

लोगों ने शेखचिल्ली को समझाया, “शेखचिल्ली, तुम बहुत मूर्ख हो। तुमने सोने की ईंट को अपने घर में रखा था। इसलिए चोर उसे चुरा ले गए।”

शेखचिल्ली को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने कहा, “हाँ, मैं मूर्ख हूँ। मुझे सोने की ईंट को बैंक में रखना चाहिए था।”

शेखचिल्ली ने लोगों से सबक सीखा। उसने सोना-चांदी और अन्य कीमती सामान को बैंक में रखना शुरू किया।

नैतिक शिक्षा: हमें अपने कीमती सामान को हमेशा बैंक में रखना चाहिए। घर में कीमती सामान रखने से चोरी होने का खतरा रहता है।

शेख चिल्ली और शाही हुक्का / Shaikh Chilli Stories in Hindi

एक बार की बात है, शेख चिल्ली अपनी पत्नी के साथ एक छोटे से गांव में रहते था। शेख चिल्ली बहुत आलसी और लालची था। 

वह दिन भर घर पर बैठा रहता था और कुछ नहीं करता था। उसकी पत्नी बहुत मेहनती थी। वह घर की सारी जिम्मेदारियां अकेले निभाती थी।

एक दिन, शेख चिल्ली की पत्नी को पता चला कि राजा अपने महल में एक भव्य पार्टी दे रहा है। पार्टी में राजा के मंत्री और सभी बड़े-बड़े लोग शामिल होंगे। शेख चिल्ली की पत्नी ने सोचा कि अगर शेख चिल्ली भी इस पार्टी में जाएंगे तो उनका सम्मान बढ़ेगा।

शेख चिल्ली की पत्नी ने शेख चिल्ली से कहा कि उन्हे राजा की पार्टी में जाना चाहए। शेख चिल्ली ने कहा, “मैं राजा की पार्टी में क्यों जाऊं? मुझे वहां जाने का कोई मन नहीं है।”

शेख चिल्ली की पत्नी ने कहा, “पार्टी में राजा के मंत्री और सभी बड़े-बड़े लोग शामिल होंगे। अगर तुम भी उस पार्टी में जाओगे तो तुम्हारा सम्मान बढ़ेगा।”

शेख चिल्ली ने सोचा कि अगर पार्टी में राजा के मंत्री और सभी बड़े-बड़े लोग होंगे तो वहां उसे बहुत सारे उपहार भी मिलेंगे। उसने राजा की पार्टी में जाने के लिए हाँ कर दी।

राजा की पार्टी के दिन, शेख चिल्ली ने अपने सबसे अच्छे कपड़े पहने और महल के लिए निकल पड़ा। महल में पहुंचकर शेख चिल्ली ने देखा कि वहां बहुत सारे लोग थे। सभी लोग बहुत खूबसूरत कपड़े पहने हुए थे।

शेख चिल्ली राजा के मंत्रियों और सभी बड़े-बड़े लोगों के पास गया। उसने उनसे उपहार मांगे। लेकिन किसी ने भी शेख चिल्ली को उपहार नहीं दिया। सभी लोग शेख चिल्ली की लालच को जानते थे।

शेख चिल्ली को बहुत गुस्सा आया। उसने सोचा कि वह राजा से उपहार मांगकर आएगा। शेख चिल्ली राजा के पास गया और उससे उपहार मांगा।

राजा ने शेख चिल्ली से कहा, “मैं तुझे ऐसा उपहार दूंगा जिसे तू कभी नहीं भूल पाएगा।”

राजा ने अपने नौकरों को एक शाही हुक्का लाने का आदेश दिया। नौकरों ने एक सोने का शाही हुक्का लाकर राजा को दिया। राजा ने शेख चिल्ली को वह शाही हुक्का उपहार में दिया।

शेख चिल्ली बहुत खुश हुआ। उसने राजा को धन्यवाद दिया और शाही हुक्का लेकर अपने घर चला गया।

घर पहुंचकर शेख चिल्ली ने अपनी पत्नी को शाही हुक्का दिखाया। उसकी पत्नी बहुत खुश हुई। उसने शेख चिल्ली से कहा कि वह शाही हुक्के से हुक्का पीए।

शेख चिल्ली ने शाही हुक्के से हुक्का पीना शुरू किया। वह हुक्का पीते-पीते ही सो गया। जब शेख चिल्ली सो गया तो उसकी पत्नी ने उससे शाही हुक्का छीन लिया और उसे बेच दिया।

अगले दिन, शेख चिल्ली उठा और शाही हुक्के की तलाश करने लगा। लेकिन शाही हुक्का कहीं नहीं मिला। शेख चिल्ली ने अपनी पत्नी से पूछा कि शाही हुक्का कहाँ है।

शेख चिल्ली की पत्नी ने कहा, “मैंने शाही हुक्का बेच दिया है।”

शेख चिल्ली को बहुत गुस्सा आया। उसने अपनी पत्नी को पीटना शुरू कर दिया। लेकिन उसकी पत्नी ने कहा, “मैंने तुमसे कहा था कि राजा के मंत्री और सभी बड़े-बड़े लोग तुम्हें उपहार नहीं देंगे। तुमने मेरी बात नहीं मानी। इसीलिए मैंने शाही हुक्का बेच दिया।”

शेख चिल्ली को अपनी पत्नी की बात सही लगी। उसने अपनी पत्नी से माफी मांगी।

शेख चिल्ली और जादू की चक्की/Shaikh Chilli Stories in Hindi

एक समय की बात है, शेख चिल्ली नाम का एक बहुत ही मूर्ख व्यक्ति रहता था। वह हमेशा कुछ न कुछ उल्टा-सीधा करता रहता था। एक दिन, शेख चिल्ली को एक जादू की चक्की मिली। वह चक्की किसी भी चीज को पीस सकती थी।

शेख चिल्ली को बहुत खुशी हुई। उसने सोचा कि अब वह बहुत अमीर बन जाएगा। वह अपनी सारी संपत्ति बेचकर, सोने के सिक्कों को पीसने लगा। लेकिन चक्की ने सोने के सिक्कों को पीसकर, चावल का आटा बना दिया।

शेख चिल्ली को बड़ा गुस्सा आया। उसने चक्की को फेंक दिया और चला गया। रास्ते में, उसे एक गरीब किसान मिला। किसान बहुत भूखा था। उसने शेख चिल्ली से कुछ खाने के लिए मांगा।

शेख चिल्ली को याद आया कि उसकी चक्की किसी भी चीज को पीस सकती है। उसने चक्की को किसान को दे दी और कहा, “इस चक्की से तुम जो भी चाहो, पीस सकते हो।”

किसान को बड़ी खुशी हुई। उसने चक्की से गेहूं का आटा पीसा और रोटी बनाकर खा ली। किसान ने शेख चिल्ली का बहुत धन्यवाद दिया।

शेख चिल्ली को समझ में आया कि जादू की चक्की का इस्तेमाल भलाई के लिए करना चाहिए। उसने चक्की को वापस ले लिया और लोगों की मदद करने लगा। वह चक्की से गेहूं का आटा, चावल का आटा, और बेसन पीसकर, गरीबों को खाना खिलाता था।

शेख चिल्ली की चक्की के बारे में खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। लोग दूर-दूर से शेख चिल्ली के पास आने लगे, ताकि वह उनकी मदद कर सके। शेख चिल्ली सभी की मदद करता था। वह एक बहुत ही दयालु और मददगार व्यक्ति बन गया।

नैतिक शिक्षा: हमें अपनी शक्तियों का इस्तेमाल भलाई के लिए करना चाहिए। हमें दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

प्रिय पाठक आप सब को Shaikh Chilli Stories in Hindi series की कहानियाँ कैसी लगी comment कर क जरूर बताएं।

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